इस पेज में हमने कक्षा 10 के नागरिकशास्त्र अथवा राजनितिक विज्ञान के अध्याय 1 - सत्ता की साझेदारी पाठ का का सम्पूर्ण प्रश्न उत्तर हिंदी में प्रस्तुत किया है ।
अध्याय 1 - सत्ता की साझेदारी
प्रश्न 1. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं ? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें। अथवा, सत्ता की साझेदारी के किन्हीं चार रूपों की व्याख्या करें।
उत्तर - आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीकें निम्नांकित हैं -
(क) सत्ता के बँटवारे का पहला रूप हमें सरकार के तीन अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में सत्ता के बँटवारे में मिलता है। जैसे भारत के संविधान ने शक्ति का विभाजन विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में कर रखा है, शक्ति के ऐसे बँटवारे को क्षैतिज वितरण कहा जाता है।
(ख) सत्ता के बँटवारे का दूसरा रूप हमें सरकार के बीच विभिन्न स्तरों में सत्ता के बँटवारे में मिलता है। सारे देश के लिए केन्द्रीय सरकार होती है, प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकारें होती हैं। उच्चतर और निम्नस्तर की सरकारों के बीच सत्ता के इस बँटवारे को ऊर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है। भारत के संविधान में केन्द्रीय और राज्य सरकारों की शक्तियों को अलग-अलग सूचियों में बाँट दिया गया है।
(ग) सत्ता का कई बार बँटवारा सामाजिक समूहों जैसे- भाषा समूहों और धार्मिक समूहों में भी कर दिया जाता है। बेल्जियम की सामुदायिक सरकार इस व्यवस्था का एक उत्तम उदाहरण है।
(घ) कई बार सत्ता का बँटवारा राजनीतिक दलों एवं दबाव-समूहों में भी कर दिया जाता है। यदि अनेक पार्टियाँ मिलकर सरकार का निर्माण करती है तो सत्ता का बँटवारा विभिन्न पार्टियों में कर दिया जाता है। कई बार इन पार्टियों में किसी विशेष विभाग के लिए होड़ भी लग जाती है। भारत में भी अब मिली-जुली सरकारों का बोलबाला होने लगा है। डेनमार्क में भी अनेक राजनीतिक दल हैं जो सत्ता का बँटवारा कर सरकार चलाते हैं।
प्रश्न 1. भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ।
अथवा, लोकतंत्र की साझेदारी के पक्ष में कौन-से तर्क दिए जाते हैं ?
अथवा, सत्ता की साझेदारी के पक्ष में कौन-से तर्क दिए जाते हैं ?
उत्तर - बहुत से राजनीतिज्ञों ने सत्ता की साझेदारी के पक्ष में अनेक तर्क दिए हैं जिनमें से प्रमुख निम्नांकित है -
(क) युक्तिपरक कारण - युक्तिपरक कारण वे हैं जो बड़ी गहरी सोच पर आधारित होते हैं और जिन्हें लाभ-हानि को सामने रखकर अपनाया जाता है।
(i) सत्ता की साझेदार विभिन्न समुदायों के बीच टकराव को कम करती है।
(ii) यह पक्षपात का अंदेशा कम करती है।
(iii) विभिन्न विविधताओं को अपने में समेट लेती है।
(iv) सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है।
(ख) नैतिक कारण - कुछ लोगों ने नैतिक कारणों से भी सत्ता की साझेदारी का जोरदार समर्थन किया है।
(i) सांझी सरकारों में सत्ता का विभाजन से सभी सरकार में हिस्सा लेने वाले राजनीतिक दलों से पूर्ण न्याय हो जाता है।
(ii) अल्पसंख्यक लोगों की भी अवलेहना नहीं होती इसलिए उनके मन में कोई आक्रोश की भावना नही पनपती।
(iii) शक्ति के विकेन्द्रीकरण से किसी भी सरकारी अंग - विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका से कोई अन्याय नहीं हो पाता और इस प्रकार केन्द्र और राज्यों में भी शांति का वातावरण बना रहता है।
(iv) सबकी राय से किए हुए निर्णय सबको मान्य होते हैं क्योंकि वे सर्वसम्मत्ति से लिए हुए होते हैं।
प्रश्न 3. - इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग-अलग निष्कर्ष निकाले। आप इनमें से किससे सहमत हैं और क्यों? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें।
थम्मन - जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषायी और जातीय आधार पर विभाजन हो सिर्फ वहीं सत्ता की साझेदारी जरूरी है।
मथाई - सत्ता की साझेदारी सिर्फ ऐसे देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजूद होते हैं।
औसेफ - हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है। भले ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन न हो।
उत्तर - हम औसेफ के निष्कर्ष से सहमत हैं कि हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है। भले ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन न हो। क्योंकि सत्ता का बँटवारा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए ठीक है। सत्ता की साझेदारी वास्तव में लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का मतलब ही होता है कि जो लोग इस शासन व्यवस्था के अंतर्गत हैं उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढर्रे में रहें। वैध सरकार वही है जिसमें अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं।
प्रश्न 4. - बेल्जियम में ब्रुसेल्स के निकट स्थित शहर मर्चटेम के मेयर ने अपने यहाँ के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा कि इससे डच भाषा न बोलने वाले लोगों को इस फ्लेमिश शहर के लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह फैसला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है ? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें।
उत्तर - स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताना बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना के खिलाफ है। बेल्जियम में जो व्यवस्था अपनाई गई उसमें सभी भाषाओं के लोगों को समान अधिकार दिए गए थे। इसलिए स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर रोक लगाना सही नहीं है क्योंकि ऐसा करने से फ्रेंच भाषी लोगों की भावनाओं का हनन होता है।
प्रश्न 5. - नीचे दिए गए उद्धरण को गौर से पढ़ें और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो युक्तिपरक कारण बताए गए हैं उनमें से किसी एक का चुनाव करें।
"महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने और संविधान निर्माताओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए हमें पंचायतों को अधिकार देने की जरूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में सौंपता है जिनके हाथों में इसे होना चाहिए। भ्रष्टाचार को कम करने और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। जब विकास की योजनाओं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर उनका नियंत्रण बढ़ेगा। इससे भ्रष्ट बिचौलियों को खत्म किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को मजबूत करेगा।"
उत्तर - इस उद्धरण में बताया गया है कि पंचायतों के स्तर पर सत्ता को बँटवारा जरूरी है क्योंकि इससे भ्रष्टाचार कम होगा तथा प्रशासनिक कुशलता बढ़ेगी। पंचायतों के अधीन जब आम लोग स्वयं अपने लिए विकास की योजनाएँ बनाएँगें और उन्हें लागू करेंगे तो भ्रष्ट बिचौलियों को समाप्त किया जा सकता है। जब स्थानीय लोग स्वयं योजनाएँ बनाएँगे तो उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्र होगा, क्योंकि किसी स्थान विशेष की समस्याएँ वहाँ के लोग भली-भाँति समझते हैं। इस प्रकार विकास करने के लिए जरूरी है कि पंचायतों को अधिकार सौंपे जाएँ जिससे लोकतंत्र की नींव मजबूत हो।
प्रश्न 6. - सत्ता के बँटवारे के पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं। इनमें से जो तर्क सत्ता के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करें और नीचे दिए गए कोड से अपने उत्तर का चुनाव करें।
सत्ता की साझेदारी :-
क) विभिन्न समुदायों के बीच टकराव को कम करती है।
(ख) पक्षपात का अंदेशा कम करती है।
(ग) निर्णय लेने की प्रक्रिया को अटका देती है।
(घ) विविधताओं को अपने में समेट लेती है।
(ङ) अस्थिरता और आपसी फूट को बढ़ाती है।
(च) सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है।
(छ) देश की एकता को कमजोर करती है।
उत्तर - (सा) क, ख, घ, च।
प्रश्न 7. - बेल्जियम और श्रीलंका की सत्ता में साझीदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित बयानों पर विचार करें :-
(क) बेल्जियम में डच भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया।
(ख) सरकार की नीतियों ने सिंहली भाषी बहुसंख्यकों का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।
(ग) अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा तथा रोजगार में समानता के अवसर के लिए श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढाँचे पर बाँटने की माँग की।
(घ) बेल्जियम में एकात्मक सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मुल्क को भाषा के आधार पर टूटने से बचा लिया गया।
(क) बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ?
उत्तर - बेल्जियम में अल्पसंख्यक फ्रेंच-भाषी लोग तुलनात्मक रूप से बहुसंख्यक डच-भाषी लोगों से अधिक समृद्ध तथा शक्तिशाली थे। स्वाभाविक रूप से डच-भाषी समुदाय इस स्थिति से नाराज था। डच-भाषी लोग संख्या में अधिक थे परन्तु धन-समृद्धि के मामले में कमजोर थे। दोनों समुदायों के बीच तनाव का यही मूल कारण था। परन्तु बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया। इस बात से सहमत नहीं हुआ जा सकता। क्योंकि -
(क) बेल्जियम में विभिन्न समूहों को सत्ता में भागीदार बनाते हुए राष्ट्रीय एकता का प्रयास किया गया। भाषाई विवाद को हल करने के लिए केन्द्रीय सरकार में सभी समूहों को समान प्रतिनिधित्व दिया गया।
(ख) कुछ विशेष कानून तभी पारित हो सकते थे जब विभिन्न भाषा समूहों में उस विषय पर सहमति हो। किसी एक भाषा विशेष को राजकीय भाषा नहीं घोषित किया गया। अलग-अलग भाषा समूहों को अपनी सरकार बनाने का अवसर प्रदान किया गया।
(ग) इस सरकार को सामुदायिक सरकार कहा गया जो केन्द्र तथा राज्य के बाद तीसरे स्तर पर कार्य करती थी। इसे संस्कृति तथा भाषा संबंधी महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के अधिकार प्रदान किए गए। इन सभी प्रयासों के माध्यम से बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्कों के भाषाई विवाद को हल करने का प्रयास किया गया जो पूर्णतया सफल रहा।
(ख) "श्रीलंका में सरकार की नीतियों ने सिंहली-भाषी बहुसंख्यक का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं ?
उत्तर - (क) 1948 ई० में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना। 1956 ई० में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
(ख) विश्वविद्यालयों एवं सरकारी नौकरियों ने सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी अपनाई गई।
(ग) नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी।
(घ) श्रीलंकाई तमिलों को लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही है। इसका परिणाम यह हुआ कि तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए।
(ग) अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा तथा रोजगार में समानता के अवसर के लिए श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढाँचे पर बाँटने की माँग की। व्याख्या करें । अथवा श्रीलंका में सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था के बारे में चर्चा करें।
उत्तर - श्रीलंका में सिंहली बहुसंख्यक हैं तथा तमिल अल्पसंख्यक। श्रीलंका के सिंहली समुदाय ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया तथा कई ऐसे कदम उठाए जिनसे अल्पसंख्यक तमिल समुदाय को सत्ता में उचित साझेदारी नहीं मिली और उनके हितों की हानि हुई।
इनमें से कुछ निम्नांकित हैं -
(क) तमिल भाषा की अवहेलना करते हुए सिंहली भाषा को देश की एकमात्र राजभाषा घोषित किया गया।
(ख) विश्वविद्यालयों तथा सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता दी गई।
(ग) बौद्ध धर्म को सरकारी संरक्षण दिया गया।
उपर्यक्त असंतुलित सत्ता-विभाजन के परिणामस्वरूप श्रीलंका के तमिल समुदाय में तनाव फैला और दोनों समुदायों के बीच संबंध बिगड़ते चले गए।
(घ) बेल्जियम में एकात्मक सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मुल्क को भाषा के आधार पर टूटने से बचा लिया गया। व्याख्या करें । अथवा बेल्जियम के समाज की जातीय बनावट की व्याख्या करें।
उत्तर - बेल्जियम यूरोप का एक छोटा-सा देश है जिसकी आबादी हरियाणा से भी आधी है। परन्तु इसके समाज की जातीय बनावट बड़ी जटिल है। इसमें रहने वाले 59% लोग डच भाषा बोलते हैं, 40% लोग फ्रेंच बोलते हैं और बाकी 1% लोग जर्मन बोलते हैं। ऐसी भाषाई विविधता कई बार सांस्कृतिक और राजनीतिक झगड़े का कारण बन जाती है, परन्तु बेल्जियम के लोगों ने एक नवीन प्रकार की शासन-पद्धति अपना कर इन सांस्कृतिक विविधताओं एवं क्षेत्रीय अंतरों से होने वाले आपसी मतभेदों को दूर कर लिया। उन्होंने बार-बार संविधान में संशोधन इस विचार से किया कि किसी भी व्यक्ति को बेगानेपन का एहसास न हो और सभी मिल-जुल कर रह सकें। सारा विश्व बेल्जियम की इस समझदारी की दाद देता है।
नोट :- प्रश्न 8 का उत्तर स्वयं लिखें ।
प्रश्न 9 - (क) सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है ? स्पष्ट करें।
उत्तर - सत्ता का बँटवारा होने से विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। चूंकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है।
(ख) सत्ता की साझेदारी से सामूहिक टकराव का अंदेशा घटता है । कैसे ?
उत्तर - सत्ता की साझेदारी दरअसल लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का मतलब ही होता है कि लोग इस शासन व्यवस्था के अंतर्गत हैं, उनके बीच सत्ता को बाँटा जाय और ये लोग ढर्रे से रहें। इसलिए वैध सरकार वही है जिसमें अपनी-अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं।
अतिरिक्त महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
1. सत्ता की साझेदारी क्या है और इसके क्या-क्या लाभ हैं ?
उत्तर - जब कोई देश प्रशासनिक व्यवस्था में सभी लोगों की भागीदारी बनाता है तो उसे सत्ता की साझेदारी की संज्ञा दी जाती है। ऐसी व्यवस्था के निःसंदेह अनेक लाभ हैं।
(क) सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का मूलमंत्र है। जिसके बिना प्रजातंत्र की कल्पना ही नहीं की जा सकती।
(ख) जब देश के सभी लोगों को देश की प्रशासनिक व्यवस्था में भागीदारी बनाया जाता है तो देश और मजबूत होता है।
(ग) जब बिना भेद-भाव के सभी जातियों के हितों को ध्यान में रखा जाता है और उनकी भावनाओं का आदर किया जाता है तो किसी संघर्ष की सम्भावना नहीं रहती है और देश निरन्तर बिना किसी रुकावट के प्रगति के पथ पर चलता रहता है।
बेल्जियम ने सत्ता की साझेदारी की नीति को अपना कर न केवल एक ओर आपसी संघर्षों को दूर कर लिया है वरन् हर क्षेत्र में निरन्तर प्रगति करनी शुरू कर दी है।
2. श्रीलंका के समाज की जातीय बनावट की व्याख्या करें।
उत्तर - श्रीलंका एक द्वीपीय देश है जो भारत के दक्षिणी तट से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इसकी आबादी कोई दो करोड़ के लगभग है अर्थात् हरियाणा के बराबर है। बेल्जियम की ही भाँति यहाँ भी कई जातीय समूहों के लोग रहते हैं। देश की आबादी का कोई 74% भाग सिंहलियों का है जबकि कोई 18% लोग तमिल हैं। बाकी भाग अन्य छोटे-छोटे जातीय समूहों जैसे- ईसाईयों और मुसलमानों का है। देश के उत्तर-पूर्वी भागों में तमिल लोग अधिक हैं जबकि देश के बाकी हिस्सों में सिंहली लोग बहुसंख्या में हैं। यदि श्रीलंका के लोग चाहते तो वे भी बेल्जियम की भाँति अपने जातीय मसले का कोई उचित हल निकाल सकते थे, परन्तु वहाँ बहुसंख्यक समुदाय अर्थात् सिंहलियों ने अपने बहुसंख्य वाद् को दूसरों पर थोपने का प्रयत्न किया जिससे वहाँ गृह-युद्ध शुरू हो गया जो आज तक थमने का नाम नहीं ले रहा।
3. बहुसंख्यकवाद क्या है ? इसमें क्या खामियाँ हैं ?
उत्तर - ऐसी राजनीतिक मान्यता जो इस बात पर जोर देती है कि बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यकों की अवहेलना कर सकता है, बहुसंख्यकवाद कहलाता है। परन्तु बहुसंख्यकवाद की यह धारणा अनेक प्रकार से गलत है और इसमें अनेक खामियाँ हैं -
(क) इसमें पहली त्रुटि यह है कि बहुसंख्यक लोग अपनी भाषा को तो राजभाषा घोषित कर देते हैं और दूसरी भाषाओं को दरकिनार कर देते हैं।
(ख) ये विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में अपनी ही जाति के लोगों को प्राथमिकता देते हैं और दूसरों की अवहेलना कर देते हैं जैसा कि श्रीलंका में हो रहा है।
(ग) तीसरे, बहुसंख्यक लोग अपने ही धर्म को संरक्षण और बढ़ावा देते हैं और दूसरे धर्मों से सौतेला व्यवहार करते हैं।
परन्तु इन सभी भेदभावपूर्ण कार्यों से देश में अशान्ति और संघर्ष का वातावरण कायम हो जाता है। अल्पसंख्यक लोग बेगानेपन का एहसास करने लगते हैं और मरने-मारने को तैयार हो जाते हैं। वे कैसे और कब तक सह सकते हैं कि उन्हें राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा जाए, नौकरियों में उनसे भेदभाव किया जाए और उनके हितों की अनदेखी की जाए ऐसा सब कुछ श्रीलंका में हो रहा है। वहाँ सिंहली और तमिल समुदायों के सम्बन्ध इतने बिगड़ चुके हैं कि आए दिन मार-काट होती रहती है और गृहयुद्ध का सा वातावरण बना रहता है ये सब कुछ बहुसंख्यकवाद नीति का ही परिणाम है।
4. श्रीलंका में सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था के बारे में चर्चा करें।
उत्तर - श्रीलंका में सिंहली बहुसंख्यक हैं तथा तमिल अल्पसंख्यक। श्रीलंका के सिंहली समुदाय ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया तथा कई ऐसे कदम उठाए जिनसे अल्पसंख्यक तमिल समुदाय को सत्ता में उचित साझेदारी नहीं मिली और उनके हितों की हानि हुई। इनमें से कुछ निम्नांकित हैं -
(क) तमिल भाषा की अवहेलना करते हुए सिंहली भाषा को देश की एकमात्र राजभाषा घोषित किया गया।
(ख) विश्वविद्यालयों तथा सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता दी गई।
(ग) बौद्ध धर्म को सरकारी संरक्षण दिया गया।
उपर्यक्त असंतुलित सत्ता-विभाजन के परिणामस्वरूप श्रीलंका के तमिल समुदाय में तनाव फैला और दोनों समुदायों के बीच संबंध बिगड़ते चले गए।
5. बेल्जियम में अपनाए गए सत्ता-विभाजन के मॉडल की चार मुख्य विशेषताएँ बताएँ।
अथवा, बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था के बारे में चर्चा करें।
उत्तर - बेल्जियम के सत्ता-विभाजन के मॉडल की मुख्य विशेषताएँ -
(क) संविधान में स्पष्ट रूप से इस बात की व्यवस्था की गई कि केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या समान होगी। कुछ विशेष तभी बनाए जा सकते हैं जब दोनों भाषाई समुदाय के प्रतिनिधियों का बहुमत उसके पक्ष में हो। कोई एक समुदाय एकतरफा फैसला नहीं कर सकता।
(ख) शासन की शक्तियों का विभाजन केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच स्पष्ट रूप से कर दिया गया है। किसी भी मामले में राज्य सरकारें केंद्रीय सरकार के अधीन नहीं है।
(ग) ब्रूसेल्स में अलग सरकार है जहाँ दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व हैं।
(घ) बेल्जियम में केंद्रीय एवं राज्य सरकार के अतिरिक्त एक तीसरे स्तर की सरकार भी काम करती है, जिसे सामुदायिक सरकार के नाम से जाना जाता है। इस सरकार में प्रतिनिधियों का चुनाव अलग-अलग भाषा बोलने वाले समुदायों द्वारा होता है। यह सरकार संस्कृति, शिक्षा और भाषा जैसे मामलों में निर्णय करती है।