Chapter 3 - The Making of Global World | भूमंडलीकृत विश्व का बनना

इस पेज में कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान (इतिहास) के अध्याय 3 - भूमंडलीकृत विश्व का बनना पाठ का सम्पूर्ण  प्रश्न उत्तर नए पाठ्यक्रम के अनुसार क्रमागत रूप से हिंदी में प्रस्तुत किया गया है ।

NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 3 in Hindi Medium


संक्षेप में लिखें -

1. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुने।

उत्तर -  

17 वीं शताब्दी से पहले के वैश्विक आदान-प्रदान का एक लाभकारी उदाहरण :-

17 वी शताब्दी से पहले के काल में जो यात्री, व्यापारी, पुजारी और तीर्थयात्री आपसी मेल-मिलाप के अग्रदूत बनकर एक देश से दूसरे देश गए, विशेषकर एशिया से दूसरे देशों की ओर गए वे अपने साथ अनेक चीजों, पैसे, मूल्य-मान्यताआ, विचारों अनेक प्रकार की कलाओं को भी ले गए और उन्होंने दूसरे लोगों के जीवन को सुखमय बना दिया। ऐसे प्रायः एशिया के भारत और चीन जैसे देशों द्वारा ही हुआ। 

17वीं शताब्दी से पहले वैश्विक आदान-प्रदान का एक विनाशकारी उदाहरण :-

17वीं शताब्दी से पूर्व के वैश्विक आदान-प्रदान कई बार नए लोगों के लिए विनाश का कारण भी बन गए। जैसे- पूर्तगाल और स्पेन से जब लोग अमेरिका पहुँचे तो वे अपने साथ अनेक बीमारियाँ विशेषकर चेचक के कीटाणु भी ले गए जिन्होंने अमेरिका के मूल निवासियों के अनेक कबीलों का सफाया ही कर दिया।

2. बताएँ कि पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी।

उत्तर - (क) यूरोप के कुछ उपनिवेशवादी देश अपने साथ संक्रामक बीमारियों के कीटाणु लेकर आए।
(ख) अमेरिका जो लाखों वर्षों से अलग-थलग रहा था। अतः उनके शरीर में यूरोप से आने वाली बीमारियों से बचने की रोग प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी।
(ग) सोलहवीं सदी के मध्य में स्पैनिश विजेताओं के सर्वाधिक प्रबल हथियारों में परमाणु युक्त किस्म का सैनिक हथियार कोई नहीं था। वह हथियार चेचक जैसे कीटाणु थे जो स्पैनिश सैनिकों तथा अधिकारीगणों के साथ वहाँ पहुँचे थे।
(घ) अतः अमेरिका में उपनिवेश की स्थापना के समय स्पेन के सैनिकों का दमन चक्र चल रहा था। इसी समय महामारी की विनाश लीला ने नया मोर्चा खोल दिया। अमेरिका के स्थानीय लोग यह मानते थे कि चेचक स्पेनियों द्वारा चलाई गई अदृश्य गोलियाँ थीं।
(ङ) इसके बाद बिना किसी चुनौती के दो बड़े साम्राज्यों को जीतकर अमेरिका में उपनिवेशों की स्थापना हुई।

3. निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें :-

(क) कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फ़ैसला।
(ख) अफ्रीका में रिडरपेस्ट का आना।
(ग) विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत।
(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव।
(ङ) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फ़ैसला।

(क)  कार्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार के फैसले के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर - ब्रिटिश पार्लियामेंट ने 19 वीं शताब्दी में जो कानून अपने भूस्वामियों के हितों की रक्षा के लिए पास किए उन्हें कार्न लॉ कहा जाता है। इन कानूनों के द्वारा विदेशों से खाद्य-पदार्थों के आयात पर पाबन्दी लगा दी गई। इस पाबन्दी के परिणामस्वरूप जब ब्रिटेन में खाद्य पदार्थों के मूल्य बढ़ने लगे तो लोगों में हाहाकार मच गई और विवश होकर सरकार को ये कानून हटाने पड़े। इन कानून के हटाने के बहुत महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़े :-

(क) खाद्य-सामग्री सस्ती हो गई जिससे साधारण और गरीब जनता को खुब लाभ रहा।
(ख) जब बाहर से खाद्य पदार्थ सस्ते दामों में इंग्लैंड आने लगे तो वहाँ के भू-स्वामी बर्बाद हो गए।
(ग) बहुत-सी भूमि ऊसर हो गई और खेती करने वाले बहुत से किसान बेरोजगार हो गए।
(घ) ऐसे बहुत से ग्रामीण लोग नौकरी की तलाश में शहरों की ओर भागने लगे। जिससे शहरों की हालत भी खराब हो गई।

(ख) "अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना " के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।

उत्तर - रिंडरपेस्ट पशुओं में फैलने वाली एक खतरनाक बीमारी है जो 1890 के दशक में अफ्रीका में प्लेग की तरह फैली। अफ्रीका में यह बीमारी उन पशुओं के कारण फैली जो अफ्रीका में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए लड़ रहे भारतीय सिपाहियों के भोजन के लिए अनेक पूर्वी देशों से मंगवाए गए। जैसे ही ये पशु पूर्वी अफ्रीका पहँचे इन्होंने वहाँ के पशुओं को भी रिंडरपेस्ट की बीमारी में लपेट लिया। 1892 से शुरू होकर अगले पाँच वर्षों में पशुओं को यह घातक बीमारी दक्षिणी और पश्चिमी अफ्रीका की सीमाओं तक फैल गई। इस बीमारी के बड़े दूरगामी प्रभाव पड़े :-

(क) इस बीमारी के कारण अफ्रीका के करीब 90% पशु मौत के शिकार हुए।
(ख) इस बीमारी से अफ्रीका के लोगों की आजीविका और अर्थव्यवस्था पर बड़ा गहरा असर पड़ा।
(ग) बिल्कुल बर्बाद और बेसहारा होने के कारण अफ्रीका के लोगों को विदेशी साम्राज्यवादियों के पास मजदूरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा। यदि उनके पास अपने पशु होते तो वे कभी भी यह काम करने को तैयार न होते।
(घ) अफ्रीका के लोगों के इस विनाश और उनके साधनों के बर्बाद हो जाने के कारण यूरोपीय उपनिवेशवादियों को अफ्रीका को जीतना और अपने अधीन करना काफी आसान हो गया।

(ग)  "विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत।" के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर - इस युद्ध ने मौत और विनाश की जैसी विभिषिका रची उसकी औद्योगिक युग से पहले और औद्योगिक शक्ति के बिना कल्पना नहीं की जा सकती थी। युद्ध में 90 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और 2 करोड़ घायल हुए। मृतकों और घायलों में से ज्यादातर कामकाजी उम्र के लोग थे। इस महाविनाश के कारण यूरोप में कामकाज के लायक लोगों की संख्या बहुत कम रह गई। परिवार के सदस्य घट जाने से युद्ध के बाद परिवारों की आय भी गिर गई।

(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।

उत्तर - (क) इस महामंदी (1929-1934) के काल में भारत के आयात और निर्यात व्यापार में कोई 50% की कमी आ गई।
(ख) इस महामंदी का बंगाल के पटसन पैदा करने वाले लोगों पर विशेष रूप से बड़ा विनाशकारी प्रभाव पड़ा। पटसन के मूल्यों में कोई 60% गिरावट आ गई। जिससे बंगाल के पटसन उत्पादक बर्बाद हो गए और वे कर्ज के बोझ तले दब गए।
(ग) छोटे-छोटे किसान भी इस बर्बादी से न बच सके। उनकी आर्थिक दशा खराब होती जा रही थी। सरकार ने उनके भूमि कर तथा अन्य करों में कोई कमी नही की।
(घ) 1930 में शुरू होने वाले सिविल अवज्ञा आंदोलन इस आर्थिक मंदी का सीधा परिणाम था क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र अशान्ति का क्षेत्र बन चुके थे।

(ङ) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने के फैसले के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर - बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उन कंपनियों को कहते हैं जो विश्व के विभिन्न देशों में जाकर अपनी पूँजी निवेश करती है, वहाँ अपना उत्पादन करती है और तैयार माल को विश्व के बाजारों में बेचती है। 1970 के दशक में इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपना रुख एशिया के देशों की ओर किया, जिसके अनेक महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले :-

(क) एशियाई देशों में नौकरी के अवसरों में काफी वृद्धि हुई और इस प्रकार बेरोजगारी के मसलों को हल करने में काफी आसानी रही।
(ख) इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विकासशील देशों को उनके पुराने उपनिवेशी देशों के चंगुल से निकलने में काफी सहयोग दिया।
(ग) इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी उत्पादक और व्यापारिक गतिविधियों के कारण वैश्विक व्यापार और पूँजी प्रवाहों को भी काफी प्रभावित किया।
(घ) इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को गति प्रदान की।

4. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।

उत्तर - तकनीक या विभिन्न प्रकार के आविष्कारों, जैसे- रेलवे, भाप के जहाजों, टेलिग्राफ और रेफ्रिजरेटर युक्त जहाजों का खाद्य पदार्थों की उपलब्धता पर गहरा प्रभाव पड़ा।

(क) यातायात के विभिन्न साधनों जैसे- तेज चलने वाली रेलगाड़ियों, हल्की बग्घियों, बड़े आकार के जलपोतों द्वारा अब खाद्य-पदार्थों को दूर-दूर के बाजारों में कम लागत पर और आसानी से पहुँचाना आसान हो गया।
(ख) रेफ्रिजरेटर की तकनीक युक्त जहाजों के कारण अब जल्दी खराब होने वाली चीजों मांस, फल आदि को भी लम्बी यात्राओं में लाया ले जाया जा सकता था।

5. ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है ?

उत्तर - युद्धोतर काल में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के पुनर्निर्माण तथा विकास के लिए 1944 ई. में अमेरिका में ब्रेटन वुड्स समझौता हुआ। इस समझौते में संयुक्त राष्ट्र संघ की दो संस्थाओं- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की स्थापना हुई। उन दोनों संस्थाओं ने 1947 ई० में अपना काम करना शुरू कर दिया जो ये आज तक बड़ी बेखूबी से कर रही है। अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था ने राष्ट्रीय मुद्राओं और मौद्रिक व्यवस्थाओं को एक-दूसरे से जोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। इस सारी प्रक्रिया से पश्चिमी औद्योगिक देशों और जापान को विशेष रूप से लाभ रहा है और उनके व्यापार और आय में काफी वृद्धि हुई है। इससे तकनीक और उद्यम का विश्व-व्यापी विस्तार हुआ। इसी युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को ब्रेटन वुड्स व्यवस्था कहा गया है। ब्रेटन वुड्स व्यवस्था निश्चित विनिमय दरों पर आधारित होती थी।

चर्चा करें -

Note :- प्रश्न 6 का उत्तर स्वयं लिखें ।

7. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों का भारत और भारतीयों से संबंधित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।

उत्तर - अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियाँ या प्रवाह :-

अर्थशास्त्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में 19 वीं शताब्दी में तीन प्रकार की गतियों या प्रवाहों का वर्णन किया है -
(क) इसमें पहला प्रवाह व्यापार का होता है जो 19 वीं शताब्दी में वस्तुओं (कपड़ा और गेहूँ आदि) के व्यापार तक ही सीमित था।
(ख) दूसरा प्रवाह श्रम का होता है जिसमें विभिन्न प्रकार के लोग काम या रोजगार की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं।
(ग) तीसरा प्रवाह पूँजी का होता है जिसे थोड़े या लम्बे समय के लिए दूर-स्थित इलाकों में निवेश कर दिया जाता है।

भारत से तीन प्रवाहों के उदाहरण :- 

भारत में प्राचीन काल से ही ये तीनों प्रकार के प्रवाह देखने को मिलते हैं -
(क) प्राचीन काल से ही भारतीयों ने आस-पास और दूर-दराज के देशों से व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित कर रखे थे। आज से 5,000 वर्ष पहले सिन्धु घाटी के लोगों के मैसोपोटामिया और क्रीट जैसे देशों के साथ गहरे व्यापारिक सम्बन्ध थे।
(ख) 19 वीं शताब्दी में बहुत से भारतीय कारीगर और मजदूर अनेक देशों में बागान, खानों, सड़क निर्माण और रेल निर्माण का काम करने के लिए गए।
(ग) ब्रिटिश काल में बहुत से यूरोपीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने भारत में धन का निवेश किया और अनेक प्रकार के यहाँ कारखानों, रेलों आदि का निर्माण किया और यहाँ चाय आदि के अनेक बागान स्थापित किए।

8. महामंदी के कारणों की व्याख्या करें।

उत्तर - 1929 ई० में समस्त संसार को एक भयंकर आर्थिक संकट ने आ घेरा। ऐसा आर्थिक संकट पहले कभी देखने में नहीं आया था। यह संकट संयुक्त राज्य अमेरिका में 1929 ई० में पैदा हुआ और देखते ही देखते यह 1931 ई० तक रूस को छोड़कर विश्व के अनेक देशों में फैल गया।

आर्थिक संकट (1929) के लिए उत्तरदायी कारण और कारक :-

(क) यह संकट औद्योगिक क्रांति के कारण चीजों की आवश्यकता से अधिक उत्पादन के कारण पैदा हुआ। 1930 ई० में अमेरिका में तैयार माल के इतने भण्डार हो गए कि उनका कोई खरीददार न रहा।
(ख) प्रथम विश्वयुद्ध के कारण यूरोप के देश इतने बर्बाद हो गए थे कि वे अमेरिका से माल आयात करने की अवस्था में न थे।
(ग) जब तैयार माल का कोई खरीददार न रहा तो वहाँ कारखाने बन्द हो गए और हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए।
(घ) जब कारखाने बन्द हो गए तो किसानों की पैदावार का भी कोई खरीददार न रहा। इस तरह किसानों के लाभ में भी कमी आ गई और कृषि मजदूरों की मजदूरी कम हो गई।
(ङ) अमेरिका की 'Share Exchange Market' में शेयरों की कीमत में गिरावट आ गई जिससे वहाँ कोई 1,00,000 व्यापारियों का दीवाला निकल गया।

9. जी-77 क्या है ? जी-77 को ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतानों की प्रतिक्रिया किस आधार पर कहा जा सकता है ? व्याख्या करें।

उत्तर -  जी-77 विकासशील देशों का एक ऐसा समूह था जिन्हें 1944 में होने वाले ब्रेटन वुड्स के सम्मेलन में होने वाले नियमों से कोई लाभ नहीं हुआ था, इसलिए वे एक नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली की माँग करने लगे थे।

जी-77 को ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतानों की प्रतिक्रिया के रूप में विकास :- 

ब्रेटन वुड्स के सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का जन्म हुआ था जिन्हें ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतान कहा जाता है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक पर केवल कुछ शक्तिशाली विकसित देशों का ही दबदबा था इसलिए उनसे विकासशील देशों को कोई विशेष लाभ न हुआ। इसलिए इन ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतान की प्रतिक्रिया के रूप में विकासशील देशों के जी-77 नामक देशों ने नई आर्थिक प्रणाली की माँग कर डाली ताकि उनके अपने आर्थिक उद्देश्य पूरे हो सके। जैसे -

(क) इस नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली से उन्हें यह आशा थी कि उन्हें अपने संसाधनों पर सही अर्थों में नियन्त्रण हो सके।
(ख) उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिल सके।
(ग) उन्हें कच्चे माल के सही दाम मिल सके।
(घ) उन्हें अपने तैयार मालों के लिए विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर पहुँच मिले।

Note :- परियोजना कार्य स्वयं करें ।
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