Class 10 History Question Answer Chapter 6 SA

इस पेज में कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान (इतिहास) के अध्याय 6 - काम, आराम और जीवन पाठ का लघु उत्तरीय (Short Answer Type) प्रश्न उत्तर हिंदी में प्रस्तुत किया गया है ।

NCERT Solutions for Class 10 History Chapter 6 in Hindi (Short Question Answer)


1. अठारहवीं सदी के मध्य से लंदन की आबादी क्यों फैलने लगी ? कारण बताएँ।

उत्तर - 1750 तक लंदन की आबादी 675,000 तक पहुँच चुकी थी। 1810 से 1880 के काल में इसकी आबादी चार गुणा बढ़ गई जो 10 लाख से बढ़कर 40 लाख हो गई। लंदन की आबादी के इतनी तेजी से बढ़ने के अनेक कारण थे :-
(क) पहले लंदन अनेक सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र था। लंदन शहर के प्रति लोगों का स्वाभाविक आकर्षण था क्योंकि यहाँ प्रत्येक पेशे और वर्ग के विकसित होने के पर्याप्त अवसर थे।
(ख) पाँच तरह के उद्योगों ने विशेष रूप से लंदन में विशेष प्रगति कर रखी थी, इसलिए प्रवासी आबादी इसकी ओर चुंबक की तरह खिंची चली आती थी। ये उद्योग थे- (i) वस्त्र और जूता उद्योग, (ii) लकड़ी व फर्नीचर उद्योग, (iii) धातु एवं इंजीनियरिंग उद्योग, (iv) छपाई और स्टेशनरी उद्योग तथा (v) शल्य चिकित्सा उपकरण व घड़ी उद्योग।
(ग) लंदन की गोदी (Dockyards) भी अनेक लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाती थी।
(घ) प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) के दौरान वहाँ मोटरकारों और बिजली के उपकरणों का भी उत्पादन एक बड़ी मात्रा में होने लगा था। युद्ध से सम्बन्धित सामग्री भी दिन-रात तैयार होने लगी थी। अधिक कारखाने, अधिक नौकरियाँ और परिणामस्वरूप अधिक काम करने वाले लोग और परिणामस्वरूप घनी आबादी।

2.  उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के बीच लंदन में औरतों के लिए उपलब्ध कामों में किस तरह के बदलाव आए ? ये बदलाव किन कारणों से आए ?

उत्तर-  (क) 18 वीं शताब्दी के दूसरे चरण और 19 वीं शताब्दी के पहले चरण में विभिन्न कारखानों में महिलाएँ एक बड़ी मात्रा में काम करती थीं क्योंकि पुरुषों की तुलना में वे सस्ती पड़ती थीं।
(ख) परन्तु 19 वीं शताब्दी में तकनीक के समावेश के कारण अब महिलाओं के लिए विभिन्न कारखानो में काम करना काफी कठिन हो गया और धीरे-धीरे उन्हें औद्योगिक इकाइयों में अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा और इधर-उधर छोटा-मोटा काम करना पड़ा। महिलाएँ धीरे-धीरे घरेलू कामों में सिमट कर रह गई। 1861 की जनगणना से पता चलता है कि तब कोई ढाई लाख महिलाएँ घरेलू नौकर के रूप में कार्य कर रही थीं। कुछ औरतें अपने परिवार की आय बढ़ाने के लिए अपने घर में ही सिलाई-बुनाई, कपड़े धोने या माचिस आदि बनाने का काम करने लगी थीं।
(ग) परन्तु 20 वीं सदी के आते ही हालात ने फिर करवट बदली और विश्वयुद्ध के कारण औरतों को युद्धकालीन उद्योगों और दफ्तरों में फिर से काम मिलने लगा। ऐसे में वे फिर से घरेलू काम छोड़कर घर की चारदीवारों से बाहर आने लगीं।

3.  विशाल शहरी आबादी के होने से जमींदार पर क्या असर पड़ता है ? ऐतिहासिक उदाहरणों के साथ समझाएँ।

उत्तर-  विशाल शहरी आबादी का जमींदार पर प्रभाव :- 
औद्योगिक क्रांति के कारण बहुत से लोग ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़कर लंदन की ओर चुंबक की तरह खिचे चले आए क्योंकि वहाँ हर एक को कोई-न-कोई काम मिलने की आशा थी। परंतु लंदन में लोगों के निरन्तर आते रहने से बहुत-सी समस्याएँ पैदा हो गईं जिनमें सबसे बड़ी समस्या आवास की थी। नए मकान बनाने की जिम्मेदारी न तो मिल-मालिकों ने ली और न ही सरकार ने। इन परिस्थितियों का लाभ उठाकर कुछ जमींदारों ने अपनी भूमि पर छोटे-छोटे मकान बनाकर मजदूरों और कारीगरों को किराए पर देना शुरू कर दिया और इस प्रकार वे खूब मालामाल होने लगे।

4. विशाल शहरी आबादी के होने से कानून-व्यवस्था संभालने वाला पुलिस अधीक्षक पर क्या असर पड़ता है ? ऐतिहासिक उदाहरणों के साथ समझाएँ।

उत्तर-  कानून-व्यवस्था संभालने वाला पुलिस अधीक्षक पर प्रभाव :- शहरी आबादी के बढ़ने से पुलिस अधीक्षक की मुसीबतें और जिम्मेदारियाँ अनेक प्रकार से बढ़ गई -
(क) जैसे-जैसे लंदन बढ़ा वहाँ अपराध भी बढ़ने लगे। एक अनुमान के अनुसार 1870 के दशक में अपराधियों की गिनती बढ़ते-बढ़ते 20,000 तक पहुँच गई। छतों से लोग सीसा चुरा लेते थे, दुकानों से खाने की चीजें उठा लेते थे, कोयले के ढेर उठा लेते थे या घरों में सुखाने के लिए डाले गए कपड़े उठा ले जाते थे। सड़कों पर ठगो और जालसाजों, जेबकतरों और छोटे-छोटे चोरो की भरमार हो गई। हर अपराधी नागरिकों के लिए ही नहीं वरन पुलिस अधीक्षकों के लिए समस्या बन गई।
(ख) जब कभी छोटी-छोटी झोपड़पट्टियों में आग लग जाती थी और वहाँ अनेक गरीब लोग मौत का शिकार हो जाते थे तब सरकार के विरुद्ध जलसे और जुलूस निकालने लगते थे तो इस सारी मुसीबत का पुलिस वालों को ही सामना करना पड़ता था।
(ग) जब कभी मजदूर लोग अपने अच्छे वेतन और अच्छे आवास के लिए आंदोलन पर उतारू हो जाते थे तो पुलिस के लिए एक आफत-सी आ जाती थी। जुलूस में शामिल प्रदर्शनकारियों पर सख्ती करें तो मुसीबत, न करें तो स्वयं मौत का शिकार बनने की संभावना बनी रहती थी। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि अन्धाधुन्ध आबादी का बढ़ना पुलिस के लिए मुसीबतों का बढ़ना होता था।

5.  विशाल शहरी आबादी के होने से राजनीतिक दल का नेता पर क्या असर पड़ता है ? ऐतिहासिक उदाहरणों के साथ समझाएँ।

उत्तर-  शहरों की बढ़ती हुई आबादी अनेक समस्याओं की जन्मदाता थी। ऐसे में अनेक राजनीतिक नेताओं को, विशेषकर विरोधी दलों के नेताओं को अपनी रोटियाँ सेकने का अच्छा अवसर मिला जाता था। सरकार की मुसीबतें तो बढ़ती हुई संख्या से बढ़ती ही जाती थी मगर विरोधी दलों के लोगों को कभी वेतन के लिए, कभी मकान के लिए, और कभी वोट के अधिकार आदि पर उकसाना आसान होता गया। बड़ी आबादी सारे वातावरण को कुरुक्षेत्र का मैदान बना देती थी जहाँ हर एक नेता अपने-अपने उद्देश्य प्राप्त करने में लग जाता था। बड़ी आबादी उन्हें ऐसा करने का सुअवसर प्राप्त कराती थी, इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं थी।

6.  उन्नीसवीं सदी में धनी लंदनवासियों ने गरीबों के लिए मकान बनाने की जरूरत का समर्थन क्यों किया ?

उत्तर- 19वीं सदी में धनी लंदनवासियों ने गरीबों के लिए मकान बनाने की जरूरत का समर्थन किया जिसके मुख्य कारण निम्नांकित थे :-
(क) लंदन में कामगारों को काम मिल जाता था इसलिए वे आस-पास के इलाकों से उधर खिंचे आए, परन्तु क्योंकि फैक्ट्रियों के मालिक उनके लिए कोई रहने के मकान आदि नहीं बनवाते थे, इसलिए उन्हें छोटे-छोटे तंग कमरों में किराए पर रहना पड़ता था। परन्तु ऐसे टेनेमेट्स में पशुओं समान रहना पड़ता था। इसलिए बहुत से कामगार जल्दी ही मृत्यु का शिकार हो जाते थे। जहाँ आम लोग 55 साल तक जीते थे वहाँ वे 29 वर्ष से ऊपर नहीं जीते थे।
(ख) ऐसी झोपड़पट्टियाँ केवल मजदूरों के स्वास्थ्य के लिए ही हानिकारक नहीं थी वरन अगर वहाँ कोई महामारी फैल जाती तो लंदन के दूसरे निवासी भी उसकी लपेटे में आ सकते थे। इसलिए धनी लंदनवासियों ने मजदूरों के लिए मकान बनाना ही अच्छा समझा।
(ग) इन झोपड़ियों में आग लगने का भी खतरा था जो दूसरे लंदनवासियों के लिए भयानक सिद्ध हो सकता था।
(घ) विशेषकर 1917 की रूसी क्रांति के पश्चात् लंदनवासियों को यह डर सताने लगा था कि मजदूर कहीं कोई आंदोलन न छेड़ दे और मारकाट पर उतारू न हो जाए।
विवश होकर धनी लंदनवासियों ने गरीबों के लिए मकान बनाने का समर्थन करना शुरू कर दिया।

7. बम्बई की बहुत सारी फिल्में शहर में बाहर से आने वालों की जिंदगी पर आधारित क्यों होती थीं ?

उत्तर - बम्बई की बहुत सारी फिल्में शहर में बाहर से आने वालों की जिंदगी पर आधारित होती थीं। इसके कई कारण थे -
(क) बम्बई की बहुत सारी फिल्में शहर में आने वाले अप्रवासियों के ऊपर आधारित होती थीं। उनके दैनिक जीवन में पेश आने वाली मुश्किलों के बारे में ही हैं।
(ख) बम्बई की फिल्मों में, बाहर से आने वाले मजदूरों और फैक्ट्रियों में काम करने वालों की जिंदगी कितनी कठिन होती है, इसे दर्शाया गया।
(ग) बम्बई शहर को सपनों का शहर समझकर आने वाले युवक और युवतियों पर कई फिल्में बनीं। जिसमें शहर की चकाचौंध में गुमराह होने की संभावनाओं को फिल्माया गया।
(घ) बम्बई की फिल्मों में बाहर से आने वाले साधारण लोगों को किस प्रकार झोपड़पट्टियों, चालों आदि में रहना पड़ता है और दूसरी तरफ अमीर लोग बड़ी-बड़ी कारों और बड़े-बड़े बँगलों में रहते हैं। इस तरह की फिल्में समाज में अमीरों और गरीबों के बीच के अंतर को दिखाती थीं।
(ङ) बाहर से आने वालों के ऊपर बम्बई फिल्म उद्योग के कई लोकप्रिय फिल्म शहर के अंतर्विरोधी आयामों को उजागर करते हैं। जैसे - सीआईडी तथा गेस्ट हाउस।

8. लंदन में आए उन सामाजिक परिवर्तनों की व्याख्या करें जिनके कारण भूमिगत रेलवे की जरूरत पैदा हुई। भूमिगत रेलवे के निर्माण की आलोचना क्यों हुई ?
अथवा, लंदन में भूमिगत रेल की क्या आवश्यकता थी ?

उत्तर - भूमिगत रेलवे लाइन की आवश्यकता के कारण :-
(क) लंदन में औद्योगीकरण ने शहरीकरण के स्वरूप पर गहरा प्रभाव डाला। लंदन में विशाल कारखाने नहीं थे फिर भी लोग भारी संख्या में यहाँ आते गए। कई सामाजिक परिवर्तनों ने लंदन में नई जरूरतों को जन्म दिया।
(ख) लंदन में क्लर्को, दुकानदारों, छोटे पेशेवरों, निपुण कारीगरों, कुशल एवं शारीरिक श्रम करने वाले सिपाहियों, नौकरों, दिहाड़ी मजदूरों, फेरीवालों, भिखारियों आदि की संख्या में भारी वृद्धि हुई।
(ग) परिधान, जूता उद्योग, लकड़ी, फर्नीचर उद्योग, धातु इंजीनियरिंग उद्योग, छपाई, स्टेशनरी उद्योग, शल्य चिकित्सा उपकरण, घड़ी आदि जैसे उत्पादों के कारण शहर की आबादी बढ़ने लगी। अतः भूमिगत रेलवे की आवश्यकता हुई।
(घ) बढ़ती हुई जनसंख्या तथा सड़कों पर पशुओं का स्वतंत्र रूप से आवागमन के कारण ट्रैफिक जाम हो जाता था। पर्यावरण प्रदूषण, बीमारियों की आशंका और गंदगी के कारण भी भूमिगत रेलवे का काम प्रारम्भ हुआ।

     आलोचना के कारण :-
(i) भूमिगत रेलवे की आलोचना इसलिए की गई कि इन रेलों में यात्रा की दशाएँ अत्यन्त कष्टकारक थी।
(ii) रेलों के धुएँ को स्वास्थ्य के लिए भयानक खतरे के रूप में देखा गया ।
(iii) रेलवे के निर्माण के काम में बेहिसाब तबाही हुई। औसतन दो मील लंबी रेल लाइन के लिए 900 घरों को गिरा दिया गया। ये घर गरीबों के थे।

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