इस पेज में कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान (इतिहास) के अध्याय 4 - भूमंडलीकृत विश्व का बनना पाठ का लघु उत्तरीय (Short Answer Type) प्रश्न उत्तर हिंदी में प्रस्तुत किया गया है ।
NCERT Solutions for Class 10 History Chapter 4 in Hindi (Short Question Answer)
1. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दें। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुने।
उत्तर- 17 वीं शताब्दी से पहले के वैश्विक आदान-प्रदान का एक लाभकारी उदाहरण :-
17 वी शताब्दी से पहले के काल में जो यात्री, व्यापारी, पुजारी और तीर्थयात्री आपसी मेल-मिलाप के अग्रदूत बनकर एक देश से दूसरे देश गए, विशेषकर एशिया से दूसरे देशों की ओर गए वे अपने साथ अनेक चीजों, पैसे, मूल्य-मान्यताआ, विचारों अनेक प्रकार की कलाओं को भी ले गए और उन्होंने दूसरे लोगों के जीवन को सुखमय बना दिया। ऐसे प्रायः एशिया के भारत और चीन जैसे देशों द्वारा ही हुआ।
17वीं शताब्दी से पहले वैश्विक आदान-प्रदान का एक विनाशकारी उदाहरण :-
17वीं शताब्दी से पूर्व के वैश्विक आदान-प्रदान कई बार नए लोगों के लिए विनाश का कारण भी बन गए। जैसे- पूर्तगाल और स्पेन से जब लोग अमेरिका पहुँचे तो वे अपने साथ अनेक बीमारियाँ विशेषकर चेचक के कीटाणु भी ले गए जिन्होंने अमेरिका के मूल निवासियों के अनेक कबीलों का सफाया ही कर दिया।
2. बताएँ कि पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरीकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी ?
उत्तर - (क) यूरोप के कुछ उपनिवेशवादी देश अपने साथ संक्रामक बीमारियों के कीटाणु लेकर आए।
(ख) अमेरिका जो लाखों वर्षों से अलग-थलग रहा था। अतः उनके शरीर में यूरोप से आने वाली बीमारियों से बचने की रोग प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी।
(ग) सोलहवीं सदी के मध्य में स्पैनिश विजेताओं के सर्वाधिक प्रबल हथियारों में परमाणु युक्त किस्म का सैनिक हथियार कोई नहीं था। वह हथियार चेचक जैसे कीटाणु थे जो स्पैनिश सैनिकों तथा अधिकारीगणों के साथ वहाँ पहुँचे थे।
(घ) अतः अमेरिका में उपनिवेश की स्थापना के समय स्पेन के सैनिकों का दमन चक्र चल रहा था। इसी समय महामारी की विनाश लीला ने नया मोर्चा खोल दिया। अमेरिका के स्थानीय लोग यह मानते थे कि चेचक स्पेनियों द्वारा चलाई गई अदृश्य गोलियाँ थीं।
(ङ) इसके बाद बिना किसी चुनौती के दो बड़े साम्राज्यों को जीतकर अमेरिका में उपनिवेशों की स्थापना हुई।
3. कार्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार के फैसले के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- ब्रिटिश पार्लियामेंट ने 19 वीं शताब्दी में जो कानून अपने भूस्वामियों के हितों की रक्षा के लिए पास किए उन्हें कार्न लॉ कहा जाता है। इन कानूनों के द्वारा विदेशों से खाद्य-पदार्थों के आयात पर पाबन्दी लगा दी गई। इस पाबन्दी के परिणामस्वरूप जब ब्रिटेन में खाद्य पदार्थों के मूल्य बढ़ने लगे तो लोगों में हाहाकार मच गई और विवश होकर सरकार को ये कानून हटाने पड़े। इन कानून के हटाने के बहुत महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़े :-
(क) खाद्य-सामग्री सस्ती हो गई जिससे साधारण और गरीब जनता को खुब लाभ रहा।
(ख) जब बाहर से खाद्य पदार्थ सस्ते दामों में इंग्लैंड आने लगे तो वहाँ के भू-स्वामी बर्बाद हो गए।
(ग) बहुत-सी भूमि ऊसर हो गई और खेती करने वाले बहुत से किसान बेरोजगार हो गए।
(घ) ऐसे बहुत से ग्रामीण लोग नौकरी की तलाश में शहरों की ओर भागने लगे। जिससे शहरों की हालत भी खराब हो गई।
4. "अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना " के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें -
उत्तर- अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना :-
रिंडरपेस्ट पशुओं में फैलने वाली एक खतरनाक बीमारी है जो 1890 के दशक में अफ्रीका में प्लेग की तरह फैली। अफ्रीका में यह बीमारी उन पशुओं के कारण फैली जो अफ्रीका में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए लड़ रहे भारतीय सिपाहियों के भोजन के लिए अनेक पूर्वी देशों से मंगवाए गए। जैसे ही ये पशु पूर्वी अफ्रीका पहँचे इन्होंने वहाँ के पशुओं को भी रिंडरपेस्ट की बीमारी में लपेट लिया। 1892 से शुरू होकर अगले पाँच वर्षों में पशुओं को यह घातक बीमारी दक्षिणी और पश्चिमी अफ्रीका की सीमाओं तक फैल गई। इस बीमारी के बड़े दूरगामी प्रभाव पड़े :-
(क) इस बीमारी के कारण अफ्रीका के करीब 90% पशु मौत के शिकार हुए।
(ख) इस बीमारी से अफ्रीका के लोगों की आजीविका और अर्थव्यवस्था पर बड़ा गहरा असर पड़ा।
(ग) बिल्कुल बर्बाद और बेसहारा होने के कारण अफ्रीका के लोगों को विदेशी साम्राज्यवादियों के पास मजदूरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा। यदि उनके पास अपने पशु होते तो वे कभी भी यह काम करने को तैयार न होते।
(घ) अफ्रीका के लोगों के इस विनाश और उनके साधनों के बर्बाद हो जाने के कारण यूरोपीय उपनिवेशवादियों को अफ्रीका को जीतना और अपने अधीन करना काफी आसान हो गया।
5. "विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौतें।" के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- इस युद्ध ने मौत और विनाश की जैसी विभिषिका रची उसकी औद्योगिक युग से पहले और औद्योगिक शक्ति के बिना कल्पना नहीं की जा सकती थी। युद्ध में 90 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और 2 करोड़ घायल हुए। मृतकों और घायलों में से ज्यादातर कामकाजी उम्र के लोग थे। इस महाविनाश के कारण यूरोप में कामकाज के लायक लोगों की संख्या बहुत कम रह गई। परिवार के सदस्य घट जाने से युद्ध के बाद परिवारों की आय भी गिर गई।
6. भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें -
उत्तर- भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव :-
(क) इस महामंदी (1929-1934) के काल में भारत के आयात और निर्यात व्यापार में कोई 50% की कमी आ गई।
(ख) इस महामंदी का बंगाल के पटसन पैदा करने वाले लोगों पर विशेष रूप से बड़ा विनाशकारी प्रभाव पड़ा। पटसन के मूल्यों में कोई 60% गिरावट आ गई। जिससे बंगाल के पटसन उत्पादक बर्बाद हो गए और वे कर्ज के बोझ तले दब गए।
(ग) छोटे-छोटे किसान भी इस बर्बादी से न बच सके। उनकी आर्थिक दशा खराब होती जा रही थी। सरकार ने उनके भूमि कर तथा अन्य करों में कोई कमी नही की।
(घ) 1930 में शुरू होने वाले सिविल अवज्ञा आंदोलन इस आर्थिक मंदी का सीधा परिणाम था क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र अशान्ति का क्षेत्र बन चुके थे।
7. बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने के फैसले के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उन कंपनियों को कहते हैं जो विश्व के विभिन्न देशों में जाकर अपनी पूँजी निवेश करती है, वहाँ अपना उत्पादन करती है और तैयार माल को विश्व के बाजारों में बेचती है। 1970 के दशक में इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपना रुख एशिया के देशों की ओर किया, जिसके अनेक महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले :-
(क) एशियाई देशों में नौकरी के अवसरों में काफी वृद्धि हुई और इस प्रकार बेरोजगारी के मसलों को हल करने में काफी आसानी रही।
(ख) इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विकासशील देशों को उनके पुराने उपनिवेशी देशों के चंगुल से निकलने में काफी सहयोग दिया।
(ग) इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी उत्पादक और व्यापारिक गतिविधियों के कारण वैश्विक व्यापार और पूँजी प्रवाहों को भी काफी प्रभावित किया।
(घ) इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को गति प्रदान की।
8. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।
उत्तर - तकनीक या विभिन्न प्रकार के आविष्कारों, जैसे- रेलवे, भाप के जहाजों, टेलिग्राफ और रेफ्रिजरेटर युक्त जहाजों का खाद्य पदार्थों की उपलब्धता पर गहरा प्रभाव पड़ा।
(क) यातायात के विभिन्न साधनों जैसे- तेज चलने वाली रेलगाड़ियों, हल्की बग्घियों, बड़े आकार के जलपोतों द्वारा अब खाद्य-पदार्थों को दूर-दूर के बाजारों में कम लागत पर और आसानी से पहुँचाना आसान हो गया।
(ख) रेफ्रिजरेटर की तकनीक युक्त जहाजों के कारण अब जल्दी खराब होने वाली चीजों मांस, फल आदि को भी लम्बी यात्राओं में लाया ले जाया जा सकता था।
9. ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है ?
अथवा, युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को ब्रेटन वुड्स व्यवस्था भी कहा जाता है। क्यों ?
उत्तर- युद्धोतर काल में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के पुनर्निर्माण तथा विकास के लिए 1944 ई. में अमेरिका में ब्रेटन वुड्स समझौता हुआ। इस समझौते में संयुक्त राष्ट्र संघ की दो संस्थाओं- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की स्थापना हुई। उन दोनों संस्थाओं ने 1947 ई० में अपना काम करना शुरू कर दिया जो ये आज तक बड़ी बेखूबी से कर रही है। अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था ने राष्ट्रीय मुद्राओं और मौद्रिक व्यवस्थाओं को एक-दूसरे से जोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। इस सारी प्रक्रिया से पश्चिमी औद्योगिक देशों और जापान को विशेष रूप से लाभ रहा है और उनके व्यापार और आय में काफी वृद्धि हुई है। इससे तकनीक और उद्यम का विश्व-व्यापी विस्तार हुआ। इसी युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को ब्रेटन वुड्स व्यवस्था कहा गया है। ब्रेटन वुड्स व्यवस्था निश्चित विनिमय दरों पर आधारित होती थी।
10. संक्षेप में बताएँ कि दो महायुद्धों के बीच जो आर्थिक परिस्थितियाँ पैदा हुई उनसे अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने क्या सबक सीखा ?
उत्तर- (क) अंतर-युद्ध के आर्थिक अनुभव बहुत खराब थे। अधिकतर देश बर्बाद हो गये थे और बहुत से शहर नष्ट हो गये थे।
(ख) अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने सबक सीखा कि उन्हें औद्योगिक देशों की आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करना होगा।
(ग) साथ ही उनमें सारे संसार की परस्पर आर्थिक निर्भरता की समझ भी उत्पन्न हुई।
11. सोलहवीं सदी में दुनिया सिकुड़ने लगी थी, इसका क्या मतलब है, व्याख्या करें।
उत्तर- (क) संसार के विभिन्न महाद्वीपों के लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों में वृद्धि।
(ख) सोलहवीं सदी से पहले तक विभिन्न महाद्वीपों के लोगों के बीच अंतर्संबंध, व्यापार और व्यवसाय का अभाव था।
(ग) लेकिन सोलहवीं सदी में संसार के महाद्वीपों के बीच व्यापार, व्यवसाय, सांस्कृतिक विचारों का आदान-प्रदान और लोगों की आवाजाही बढ़ी जो अमेरिका से एशिया होकर यूरोप और अफ्रीका तक पहुँची।
12. अफ्रीका में स्थानीय निवासियों को काम पर लगाए रखने के लिए यूरोपीयों द्वारा कौन-कौन उपाय किए गए ?
उत्तर - अफ्रीका में स्थानीय निवासियों को काम पर लगाए रखने के लिए यूरोपीयों द्वारा निम्नांकित उपाय किए गए :-
(i) लोगों पर भारी कर लगाए गए, जिनका भुगतान तभी संभव था, जब वे बागानों अथवा खदानों में नियमित रूप से वेतन पर कार्य कर रहे हों।
(ii) उत्तराधिकार कानून में परिवर्तन किया गया जिसके अनुसार परिवार के केवल एक ही सदस्य को पैतृक संपत्ति मिलना निश्चित हुआ। इससे परिवार के शेष सदस्यों को श्रम-बाजार में लाने में सहायता मिली।
(ii) खान कर्मियों को बाड़ों में बंद कर दिया गया तथा उनके स्वतंत्रतापूर्वक घूमने-फिरने पर पाबंदी लगा दी गई।
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