इस पेज में कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान (इतिहास) के अध्याय 3 - भारत में राष्ट्रवाद पाठ का लघु उत्तरीय (Short Answer Type) प्रश्न उत्तर हिंदी में प्रस्तुत किया गया है ।
NCERT Solutions For Class 10 History Chapter 3 in Hindi (Short Question Answer)
1. उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ? कोई चार कारण दें।
उत्तर - उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई थी। उपनिवेशों में राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना विकसित हुई।
(क) 1600 ई० में लंदन में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई थी। 1765 ई० में बंगाल, बिहार, उड़ीसा पर कंपनी का अधिकार हो गया। भारत में उपनिवेश की स्थापना और फिर भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के स्थापित होने से राष्ट्रवाद
का विकास हुआ। 1857-58 में राष्ट्रवादी शक्तियों ने अंग्रेजों का विरोध
किया। उनका यह प्रयास असफल रहा लेकिन लंबे संघर्ष के बाद 1947 में आजादी मिली।
(ख) औपनिवेशिक शासकों के विरुद्ध संघर्ष के दौरान लोगों ने आपसी एकता को पहचाना कि एकजुट होकर वे विदेशी लोगों को अपने देश से निकाल सकते हैं।
(ग) उपनिवेशों के अंतर्गत उत्पीड़न और दमन के कारण विभिन्न समूहों को संगठित होना पड़ा और उपनिवेश विरोधी आंदोलन चलाया जाने लगा।
(घ) वियतनाम, चीन, बर्मा आदि देशों में उपनिवेशवाद का विरोध होता रहा। विश्व के अनेक एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देश भी राष्ट्रवाद की भावनाओं से प्रेरित थे। इसलिए उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष और आंदोलन के के साथ जुड़े हुए थे।
2. पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ?
उत्तर - (क) प्रथम विश्व युद्ध में भारी संख्या में भारतीयों को सेना में भर्ती किया गया। यूरोपीय देशों के स्वतंत्र वातावरण और लोकतंत्रीय संगठनों का उन पर प्रभाव पड़ा। युद्ध के अनुभवों से उन्हें अपनी क्षमता पर विश्वास हुआ। वे अपने देश में भी लोकतंत्र की स्थापना कर सकते हैं। राजनीतिक जागृति और आत्मविश्वास की प्रबल भावना पहले विश्व युद्ध के बाद विकसित हुई।
(ख) युद्ध-व्यय की पूर्ति के लिए ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों पर अतिरिक्त कर भार आरोपित किए, जिसके परिणामस्वरूप उपनिवेशों में विकट आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति उत्पन्न हुई। सरकार की आर्थिक नीतियों से वस्तुओं की कीमतें अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई।
(ग) देश के कई भागों में फसलें नष्ट हो गई थी जिसके परिणामस्वरूप खद्यान्नों की कमी हो गई तथा कई क्षेत्रों में अकाल पड़ गए। इसी बीच फ्लू जैसी महामारी फैल गई जिससे भारी संख्या में लोग मारे गए।
(घ) अंग्रेजी सरकार ने भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए। डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 ई० में लागू किया। इसके बाद क्रांतिकारी आंदोलन कम होने के बजाय और तेज हो गया।
उपर्युक्त परिस्थितियों के प्रति सरकार का रूप न सिर्फ उदासीन बल्कि असहयोगात्मक रहा जिसके परिणामस्वरूप लोगों में सरकार के प्रति असंतोष और विद्रोह का भाव पनपा तथा लोग राष्ट्रवादी आंदोलन के लिए मजबूर हुए।
3. भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे ?
अथवा रॉलेट एक्ट क्या था ? गाँधीजी ने रॉलेट एक्ट का विरोध किस प्रकार किया ? वर्णन करें।
उत्तर - भारत में ब्रिटिश शासन के हो रहे प्रतिरोधों के खिलाफ ब्रिटेन के इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने 1919 ई० में एक कानून परित किया। जिसे रॉलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है।
(क) 1918 ई० में अंग्रेजी सरकार ने रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। इस समिति को यह निर्देश दिया गया कि भारत में क्रांतिकारी आंदोलनों को रोकने के लिए किस तरह के कानून बनाए जाएँ क्योंकि देश का कानून अपर्याप्त है।
(ख) इस कानून के द्वारा सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया। इसी कारण भारतीयों ने रॉलेट एक्ट का विरोध किया।
(ग) गाँधीजी ने इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ अहिंसक ढंग से नागरिक अवज्ञा करने की घोषणा की।
(घ) इस नागरिक अवज्ञा को 6 अप्रैल, 1919 से एक हड़ताल के साथ प्रारंभ होना निश्चित किया गया।
(ङ) रॉलेट एक्ट के खिलाफ विभिन्न शहरों में रैलियों एवं जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे कामगार हड़ताल पर चले गए। दुकानें स्वतः बंद हो गई। टेलीग्राफ सेवा बाधित कर दी गई। इस प्रकार देश में अव्यवस्था का आलम फैल गया।
(च) 10 अप्रैल, 1919 को पुलिस ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चला दी। इससे लोग उग्र हो उठे तथा बैंकों, डाकघरों तथा रेलवे स्टेशनों पर हमले करने लगे।
4. गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का क्यों फैसला किया ?
उत्तर - असहयोग आंदोलन अपने पूरे जोरों पर चल रहा था जब महात्मा गाँधी ने 1922 ई० को उसे वापस ले लिया। इस आंदोलन के वापस लिए जाने के निम्नांकित कारण थे-
(क) महात्मा गाँधी अहिंसा और शांति के पूर्ण समर्थक थे, इसलिए जब उन्हें यह सूचना मिली कि उत्तेजित भीड़ ने चौरी-चौरा के पुलिस थाने को आग लगा कर 22 सिपाहियों की हत्या कर डाली है तो वह परेशान हो उठे। उन्हें अब विश्वास न रहा कि वे लोगों को शान्त रख सकेंगे। ऐसे में उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस ले लेना ही उचित समझा।
(ख) दूसरे वे सोचने लगे कि यदि लोग हिंसक हो जाएँगे तो अंग्रेजी सरकार भी उत्तेजित हो उठेगी और आतंक का राज्य स्थापित हो जाएगा और अनेक निर्दोष लोग मारे जाएँगे। महात्मा गाँधी जलियांवाला बाग जैसे हत्याकांड की पुनरावृत्ति नहीं करना चाहते थे इसलिए 1922 ई० में उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया।
5. जलियांवाला बाग हत्याकांड पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर - जलियांवाला बाग हत्याकांड :-
(क) रॉलेट एक्ट के विरोध में महात्मा गाँधी और सत्यपाल किचलू गिरफ्तार हो चुके थे। इस गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 ई० के वैशाखी पर्व के दिन अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक जनसभा का आयोजन किया गया था।
(ख) अमृतसर के सैनिक प्रशासक जनरल डायर ने इस सभा को अवैध घोषित कर दिया था, परंतु सभा हुई थी। तब उसने वहाँ पर गोली चलवाई थी, इसमें सैकड़ों व्यक्ति मौत का शिकार हो गए थे।
(ग) इस हत्याकांड के पश्चात ब्रिटिश सरकार ने एक हंटर आयोग स्थापित किया था और उस आयोग की रिर्पोट के बाद जनरल डायर को अनेक सम्मान दिए थे। इससे महात्मा गाँधी असहयोगी हो गए थे, और उन्होंने असहयोग आंदोलन चलाने का निश्चय किया था।
(घ) जलियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटना थी। इससे भारत भर में रोष की लहर फूट पड़ी।
6. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है ?
उत्तर - सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति का आग्रह और सत्य की खोज पर गाँधीजी ने जोर दिया था। सत्याग्रह के विचार के अर्थ की व्याख्या निम्नांकित रूप से की
जा सकती है -
(क) यदि आपका उद्देश्य सच्चा और न्यायपूर्ण है, तो आपको अंत में सफलता अवश्य मिलेगी, ऐसा महात्मा गाँधी का विचार था।
(ख) प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है।
(ग) इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए। उत्पीड़क शत्र को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को हिंसा के जरिए सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने के बजाय सच्चाई को देखने और सहज भाव को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
(घ) इस संघर्ष में अंततः सत्य की ही जीत होती है। गाँधीजी को विश्वास था कि अहिंसा का यह धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है।
7. साइमन कमीशन पर टिप्पणी लिखें।
अथवा, साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया था ? भारतीयों ने साइमन कमीशन का बहिष्कार क्यों किया ?
उत्तर - (क) ब्रिटेन की टोरी सरकार ने भारत में राष्ट्रवादी आंदोलन के जवाब में 1927 ई० में एक वैधानिक आयोग का गठन किया जिसे साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है। इस कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे।
(ख) इस आयोग के सभी सदस्य अंग्रेज थे उनका कार्य यही था कि भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना एवं तदनुरूप सुझाव देना था।
(ग) भारत में इसका विरोध इसलिए हुआ कि इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं थे सारे सदस्य अंग्रेज थे। अतः 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत 'साइमन कमीशन वापस जाओ' के नारों से किया गया। काँग्रेस और मुस्लिम लीग, सभी पार्टियों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
(घ) पंजाब में लाला लाजपत राय ने इस आयोग के विरुद्ध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। पुलिस ने उन पर इतनी लाठियां बरसाई कि इस प्रहार से उनकी मृत्यु हो गई।
8. भारत माता की छवि और जर्मेनिया की छवि की तुलना करें।
उत्तर- 1948 ई० में जर्मन चित्रकार फिलिप वेट ने अपने राष्ट्र को जर्मेनिया के रूप में प्रस्तुत किया। वे बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने दिखाई गई हैं क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है। भारत में भी अबनिंद्रनाथ टैगोर जैसे अनेक कलाकारों ने भारत राष्ट्र को भारत माता के प्रतीक के रूप में दिखाया है। एक चित्र में उन्होंने भारत माता को शिक्षा भोजन और कपड़े देती हुई दिखाया है। एक अन्य चित्र में भारत माता को अन्य ढंग से दिखाया गया है जो अबनिन्द्रनाथ टैगोर के चित्र से बिल्कुल भिन्न है। इस चित्र में भारत माता को शेर और हाथी के बीच खड़ी दिखाया गया और उसके हाथ में त्रिशूल है। भारत माता की ऐसी
छवि शायद सभी जातियों को रास न आए।
9. 1920 के असहयोग आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा असहयोग आंदोलन सन् 1920 में प्रारंभ होकर 1922 को समाप्त हुआ।
इसके प्रभाव निम्नांकित थे -
(क) इस आंदोलन से जनता में नया उत्साह उत्पन्न हो गया।
(ख) हिंदू-मुस्लिम मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने लगे।
(ग) लोगों ने सरकारी नौकरियाँ छोड़ दीं।
(घ) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया।
10. स्वराज दल का गठन क्यों किया गया था ? इसका कार्य क्या था ?
उत्तर- (क) स्वराज्य दल का गठन 1923 ई० में कांग्रेस के स्पेशल अधिवेशन (दिल्ली) में अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में हुआ था। कांग्रेस ने स्वराज्यवादियों को अनुमति दे दी कि वे चुनाव में भाग ले सकते हैं। उन्होंने केंद्रीय और प्रांतीय धारा सभाओं में बहुत अधिक सीटें पाई।
(ख) इससे अंग्रेजों को परेशानी हुई कि वे अपनी नीतियों और प्रस्तावों को आसानी से पास न करवा पाएँगे।
(ग) स्वराज्यवादियों ने अंग्रेज विरोधी भावना बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
11. डांडी यात्रा से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में लिखें।
उत्तर- अंग्रेजों के नमक कानून के खिलाफ गाँधीजी ने डांडी यात्रा प्रारंभ की जिसका उद्देश्य नमक कानून का उल्लंघन करना था । स्वतंत्रता के लिए देश को एकजुट करने के लिए गाँधीजी ने नमक को एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में देखा। नमक सर्वसाधारण के भोजन का एक अनिवार्य हिस्सा था तथा चिकित्सकीय दृष्टिकोण से भोजन में इसकी उपस्थिति अत्यंत आवश्यक थी। अतः नमक कर को महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया। इस आंदोलन के अंतर्गत गाँधीजी ने अपने गिने-चुने साथियों के साथ साबरमती आश्रम से 240 कि०मी० दूर डांडी नामक तटीय कस्बे तक की पैदल यात्रा की। यद्यपि नमक आंदोलन का केन्द्रीय उद्देश्य कानून का उल्लंघन करना था, लेकिन
इस आंदोलन ने अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय जनमानस में एक राष्ट्रीय विरोध की भावना को जन्म दिया। डांडी मार्च अभूतपूर्व घटना हुई, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला कर रख दिया। डांडी यात्रा द्वारा ही गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की।
12. पूना पैक्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- (क) महात्मा गाँधी तथा अन्य नेताओं ने सांप्रदायिक पंचाट की कटु आलोचना की। गाँधीजी ने 20 सितम्बर, 1932 ई० को पूना की जर्वधा जेल में ही आमरण अनशन प्रारम्भ किया।
(ख) अंत में गाँधीजी और डॉ० अम्बेदकर की स्वीकृति से एक समझौता हुआ जो “पूना समझौते” के नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश सरकार ने भी पूना पैक्ट को स्वीकार कर लिया। इस समझौते के बाद गाँधीजी ने 26 सितम्बर 1932 को अनशन तोड़ दिया।
(ग) इस समझौते में हरिजनों के प्रतिनिधि भीमराव अम्बेदकर और एम० सी० राजा थे। पूना पैक्ट की शर्तों के अनुसार अछूतों (दलित वर्गों) के लिए पृथक निर्वाचन-मंडल समाप्त कर दिया गया।
(घ) अछूतों के लिए स्थान तो सुरक्षित किए जाएँगे परन्तु उनका निर्वाचन संयुक्त प्रणाली के आधार पर किया जाएगा। हरिजनों को शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देने के लिए भी पूना पैक्ट में शर्त रखी गई।
(ङ) प्रांतीय विधान-मंडलों में उनके लिए सुरक्षित स्थानों की संख्या 71 से बढ़ाकर 148 कर दी गई और केन्द्रीय विधानमंडल में उनके लिए 18 प्रतिशत स्थान सुरक्षित कर दिया गया।
(च) पूना पैक्ट के शर्तों के अनुसार स्थानीय संस्थाओं और सार्वजनिक सेवाओं में हरिजनों को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया।
13. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने क्यों हिस्सा लिया ?
उत्तर- विभिन्न वर्गों और समूहों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में हिस्सा लिया। क्योंकि 'स्वराज' के मायने सभी के लिए अलग-अलग थे-
(क) ज्यादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे जहाँ कारोबार पर औपनिवेशिक पाबंदियाँ नहीं होगी तो व्यापार व उद्योग निधि ढंग से फल-फूल सकेंगे।
(ख) धनी किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था, भारी लगान के खिलाफ लड़ाई।
(ग) महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था, भारतीय समाज में पुरुषों के साथ बराबरी और स्तरीय जीवन की प्राप्ति।
(घ) गरीब किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था उनके पास स्वयं की जमीन होगी। उन्हें जमीन का किराया नहीं देना होगा और बेगार नहीं करनी पड़ेगी।
14. गाँधी-इर्विन समझौता कब हुआ था? इसकी किसी एक शर्त का उल्लेख करें।
उत्तर- मार्च, 1931 ई० को तत्कालीन वायसराय लार्ड इर्विन और महात्मा गाँधी में एक समझौता हुआ जो गाँधी इर्विन समझौता के नाम से प्रसिद्ध है।
(क) इस समझौता के अनुसार सरकार ने सविनय अवज्ञा आंदोलन से संबंधित सभी बन्दी रिहा कर दिए ।
(ख) महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित कर दिया और दूसरी गोलमेज कांफ्रेंस में भाग लेना भी स्वीकार कर लिया।
15. खिलाफत आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- खिलाफत आन्दोलन :-
(क) प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन तुर्की की हार हो चुकी थी। इस आशय की अफवाह फैली हुई थी कि इस्लामिक विश्व के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) ऑटोमन सम्राट पर एक बहुत सख्त शांति संधि थोपी जायेगी।
(ख) खलीफा के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया।
(ग) मोहम्मद अली और शौकत अली बन्धुओं के साथ-साथ कई युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जनकारवाई की संभावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ वार्तालाप की।
(घ) सितम्बर 1920 में महात्मा गांधी सहित दूसरे नेताओं ने यह बात मान ली कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज्य के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाना चाहिए।
उत्तर - उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई थी। उपनिवेशों में राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना विकसित हुई।
(क) 1600 ई० में लंदन में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई थी। 1765 ई० में बंगाल, बिहार, उड़ीसा पर कंपनी का अधिकार हो गया। भारत में उपनिवेश की स्थापना और फिर भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के स्थापित होने से राष्ट्रवाद
का विकास हुआ। 1857-58 में राष्ट्रवादी शक्तियों ने अंग्रेजों का विरोध
किया। उनका यह प्रयास असफल रहा लेकिन लंबे संघर्ष के बाद 1947 में आजादी मिली।
(ख) औपनिवेशिक शासकों के विरुद्ध संघर्ष के दौरान लोगों ने आपसी एकता को पहचाना कि एकजुट होकर वे विदेशी लोगों को अपने देश से निकाल सकते हैं।
(ग) उपनिवेशों के अंतर्गत उत्पीड़न और दमन के कारण विभिन्न समूहों को संगठित होना पड़ा और उपनिवेश विरोधी आंदोलन चलाया जाने लगा।
(घ) वियतनाम, चीन, बर्मा आदि देशों में उपनिवेशवाद का विरोध होता रहा। विश्व के अनेक एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देश भी राष्ट्रवाद की भावनाओं से प्रेरित थे। इसलिए उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष और आंदोलन के के साथ जुड़े हुए थे।
2. पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ?
उत्तर - (क) प्रथम विश्व युद्ध में भारी संख्या में भारतीयों को सेना में भर्ती किया गया। यूरोपीय देशों के स्वतंत्र वातावरण और लोकतंत्रीय संगठनों का उन पर प्रभाव पड़ा। युद्ध के अनुभवों से उन्हें अपनी क्षमता पर विश्वास हुआ। वे अपने देश में भी लोकतंत्र की स्थापना कर सकते हैं। राजनीतिक जागृति और आत्मविश्वास की प्रबल भावना पहले विश्व युद्ध के बाद विकसित हुई।
(ख) युद्ध-व्यय की पूर्ति के लिए ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों पर अतिरिक्त कर भार आरोपित किए, जिसके परिणामस्वरूप उपनिवेशों में विकट आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति उत्पन्न हुई। सरकार की आर्थिक नीतियों से वस्तुओं की कीमतें अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई।
(ग) देश के कई भागों में फसलें नष्ट हो गई थी जिसके परिणामस्वरूप खद्यान्नों की कमी हो गई तथा कई क्षेत्रों में अकाल पड़ गए। इसी बीच फ्लू जैसी महामारी फैल गई जिससे भारी संख्या में लोग मारे गए।
(घ) अंग्रेजी सरकार ने भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए। डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 ई० में लागू किया। इसके बाद क्रांतिकारी आंदोलन कम होने के बजाय और तेज हो गया।
उपर्युक्त परिस्थितियों के प्रति सरकार का रूप न सिर्फ उदासीन बल्कि असहयोगात्मक रहा जिसके परिणामस्वरूप लोगों में सरकार के प्रति असंतोष और विद्रोह का भाव पनपा तथा लोग राष्ट्रवादी आंदोलन के लिए मजबूर हुए।
3. भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे ?
अथवा रॉलेट एक्ट क्या था ? गाँधीजी ने रॉलेट एक्ट का विरोध किस प्रकार किया ? वर्णन करें।
उत्तर - भारत में ब्रिटिश शासन के हो रहे प्रतिरोधों के खिलाफ ब्रिटेन के इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने 1919 ई० में एक कानून परित किया। जिसे रॉलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है।
(क) 1918 ई० में अंग्रेजी सरकार ने रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। इस समिति को यह निर्देश दिया गया कि भारत में क्रांतिकारी आंदोलनों को रोकने के लिए किस तरह के कानून बनाए जाएँ क्योंकि देश का कानून अपर्याप्त है।
(ख) इस कानून के द्वारा सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया। इसी कारण भारतीयों ने रॉलेट एक्ट का विरोध किया।
(ग) गाँधीजी ने इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ अहिंसक ढंग से नागरिक अवज्ञा करने की घोषणा की।
(घ) इस नागरिक अवज्ञा को 6 अप्रैल, 1919 से एक हड़ताल के साथ प्रारंभ होना निश्चित किया गया।
(ङ) रॉलेट एक्ट के खिलाफ विभिन्न शहरों में रैलियों एवं जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे कामगार हड़ताल पर चले गए। दुकानें स्वतः बंद हो गई। टेलीग्राफ सेवा बाधित कर दी गई। इस प्रकार देश में अव्यवस्था का आलम फैल गया।
(च) 10 अप्रैल, 1919 को पुलिस ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चला दी। इससे लोग उग्र हो उठे तथा बैंकों, डाकघरों तथा रेलवे स्टेशनों पर हमले करने लगे।
4. गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का क्यों फैसला किया ?
उत्तर - असहयोग आंदोलन अपने पूरे जोरों पर चल रहा था जब महात्मा गाँधी ने 1922 ई० को उसे वापस ले लिया। इस आंदोलन के वापस लिए जाने के निम्नांकित कारण थे-
(क) महात्मा गाँधी अहिंसा और शांति के पूर्ण समर्थक थे, इसलिए जब उन्हें यह सूचना मिली कि उत्तेजित भीड़ ने चौरी-चौरा के पुलिस थाने को आग लगा कर 22 सिपाहियों की हत्या कर डाली है तो वह परेशान हो उठे। उन्हें अब विश्वास न रहा कि वे लोगों को शान्त रख सकेंगे। ऐसे में उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस ले लेना ही उचित समझा।
(ख) दूसरे वे सोचने लगे कि यदि लोग हिंसक हो जाएँगे तो अंग्रेजी सरकार भी उत्तेजित हो उठेगी और आतंक का राज्य स्थापित हो जाएगा और अनेक निर्दोष लोग मारे जाएँगे। महात्मा गाँधी जलियांवाला बाग जैसे हत्याकांड की पुनरावृत्ति नहीं करना चाहते थे इसलिए 1922 ई० में उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया।
5. जलियांवाला बाग हत्याकांड पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर - जलियांवाला बाग हत्याकांड :-
(क) रॉलेट एक्ट के विरोध में महात्मा गाँधी और सत्यपाल किचलू गिरफ्तार हो चुके थे। इस गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 ई० के वैशाखी पर्व के दिन अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक जनसभा का आयोजन किया गया था।
(ख) अमृतसर के सैनिक प्रशासक जनरल डायर ने इस सभा को अवैध घोषित कर दिया था, परंतु सभा हुई थी। तब उसने वहाँ पर गोली चलवाई थी, इसमें सैकड़ों व्यक्ति मौत का शिकार हो गए थे।
(ग) इस हत्याकांड के पश्चात ब्रिटिश सरकार ने एक हंटर आयोग स्थापित किया था और उस आयोग की रिर्पोट के बाद जनरल डायर को अनेक सम्मान दिए थे। इससे महात्मा गाँधी असहयोगी हो गए थे, और उन्होंने असहयोग आंदोलन चलाने का निश्चय किया था।
(घ) जलियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटना थी। इससे भारत भर में रोष की लहर फूट पड़ी।
6. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है ?
उत्तर - सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति का आग्रह और सत्य की खोज पर गाँधीजी ने जोर दिया था। सत्याग्रह के विचार के अर्थ की व्याख्या निम्नांकित रूप से की
जा सकती है -
(क) यदि आपका उद्देश्य सच्चा और न्यायपूर्ण है, तो आपको अंत में सफलता अवश्य मिलेगी, ऐसा महात्मा गाँधी का विचार था।
(ख) प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है।
(ग) इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए। उत्पीड़क शत्र को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को हिंसा के जरिए सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने के बजाय सच्चाई को देखने और सहज भाव को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
(घ) इस संघर्ष में अंततः सत्य की ही जीत होती है। गाँधीजी को विश्वास था कि अहिंसा का यह धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है।
7. साइमन कमीशन पर टिप्पणी लिखें।
अथवा, साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया था ? भारतीयों ने साइमन कमीशन का बहिष्कार क्यों किया ?
उत्तर - (क) ब्रिटेन की टोरी सरकार ने भारत में राष्ट्रवादी आंदोलन के जवाब में 1927 ई० में एक वैधानिक आयोग का गठन किया जिसे साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है। इस कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे।
(ख) इस आयोग के सभी सदस्य अंग्रेज थे उनका कार्य यही था कि भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना एवं तदनुरूप सुझाव देना था।
(ग) भारत में इसका विरोध इसलिए हुआ कि इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं थे सारे सदस्य अंग्रेज थे। अतः 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत 'साइमन कमीशन वापस जाओ' के नारों से किया गया। काँग्रेस और मुस्लिम लीग, सभी पार्टियों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
(घ) पंजाब में लाला लाजपत राय ने इस आयोग के विरुद्ध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। पुलिस ने उन पर इतनी लाठियां बरसाई कि इस प्रहार से उनकी मृत्यु हो गई।
8. भारत माता की छवि और जर्मेनिया की छवि की तुलना करें।
उत्तर- 1948 ई० में जर्मन चित्रकार फिलिप वेट ने अपने राष्ट्र को जर्मेनिया के रूप में प्रस्तुत किया। वे बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने दिखाई गई हैं क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है। भारत में भी अबनिंद्रनाथ टैगोर जैसे अनेक कलाकारों ने भारत राष्ट्र को भारत माता के प्रतीक के रूप में दिखाया है। एक चित्र में उन्होंने भारत माता को शिक्षा भोजन और कपड़े देती हुई दिखाया है। एक अन्य चित्र में भारत माता को अन्य ढंग से दिखाया गया है जो अबनिन्द्रनाथ टैगोर के चित्र से बिल्कुल भिन्न है। इस चित्र में भारत माता को शेर और हाथी के बीच खड़ी दिखाया गया और उसके हाथ में त्रिशूल है। भारत माता की ऐसी
छवि शायद सभी जातियों को रास न आए।
9. 1920 के असहयोग आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा असहयोग आंदोलन सन् 1920 में प्रारंभ होकर 1922 को समाप्त हुआ।
इसके प्रभाव निम्नांकित थे -
(क) इस आंदोलन से जनता में नया उत्साह उत्पन्न हो गया।
(ख) हिंदू-मुस्लिम मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने लगे।
(ग) लोगों ने सरकारी नौकरियाँ छोड़ दीं।
(घ) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया।
10. स्वराज दल का गठन क्यों किया गया था ? इसका कार्य क्या था ?
उत्तर- (क) स्वराज्य दल का गठन 1923 ई० में कांग्रेस के स्पेशल अधिवेशन (दिल्ली) में अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में हुआ था। कांग्रेस ने स्वराज्यवादियों को अनुमति दे दी कि वे चुनाव में भाग ले सकते हैं। उन्होंने केंद्रीय और प्रांतीय धारा सभाओं में बहुत अधिक सीटें पाई।
(ख) इससे अंग्रेजों को परेशानी हुई कि वे अपनी नीतियों और प्रस्तावों को आसानी से पास न करवा पाएँगे।
(ग) स्वराज्यवादियों ने अंग्रेज विरोधी भावना बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
11. डांडी यात्रा से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में लिखें।
उत्तर- अंग्रेजों के नमक कानून के खिलाफ गाँधीजी ने डांडी यात्रा प्रारंभ की जिसका उद्देश्य नमक कानून का उल्लंघन करना था । स्वतंत्रता के लिए देश को एकजुट करने के लिए गाँधीजी ने नमक को एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में देखा। नमक सर्वसाधारण के भोजन का एक अनिवार्य हिस्सा था तथा चिकित्सकीय दृष्टिकोण से भोजन में इसकी उपस्थिति अत्यंत आवश्यक थी। अतः नमक कर को महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया। इस आंदोलन के अंतर्गत गाँधीजी ने अपने गिने-चुने साथियों के साथ साबरमती आश्रम से 240 कि०मी० दूर डांडी नामक तटीय कस्बे तक की पैदल यात्रा की। यद्यपि नमक आंदोलन का केन्द्रीय उद्देश्य कानून का उल्लंघन करना था, लेकिन
इस आंदोलन ने अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय जनमानस में एक राष्ट्रीय विरोध की भावना को जन्म दिया। डांडी मार्च अभूतपूर्व घटना हुई, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला कर रख दिया। डांडी यात्रा द्वारा ही गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की।
12. पूना पैक्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- (क) महात्मा गाँधी तथा अन्य नेताओं ने सांप्रदायिक पंचाट की कटु आलोचना की। गाँधीजी ने 20 सितम्बर, 1932 ई० को पूना की जर्वधा जेल में ही आमरण अनशन प्रारम्भ किया।
(ख) अंत में गाँधीजी और डॉ० अम्बेदकर की स्वीकृति से एक समझौता हुआ जो “पूना समझौते” के नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश सरकार ने भी पूना पैक्ट को स्वीकार कर लिया। इस समझौते के बाद गाँधीजी ने 26 सितम्बर 1932 को अनशन तोड़ दिया।
(ग) इस समझौते में हरिजनों के प्रतिनिधि भीमराव अम्बेदकर और एम० सी० राजा थे। पूना पैक्ट की शर्तों के अनुसार अछूतों (दलित वर्गों) के लिए पृथक निर्वाचन-मंडल समाप्त कर दिया गया।
(घ) अछूतों के लिए स्थान तो सुरक्षित किए जाएँगे परन्तु उनका निर्वाचन संयुक्त प्रणाली के आधार पर किया जाएगा। हरिजनों को शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देने के लिए भी पूना पैक्ट में शर्त रखी गई।
(ङ) प्रांतीय विधान-मंडलों में उनके लिए सुरक्षित स्थानों की संख्या 71 से बढ़ाकर 148 कर दी गई और केन्द्रीय विधानमंडल में उनके लिए 18 प्रतिशत स्थान सुरक्षित कर दिया गया।
(च) पूना पैक्ट के शर्तों के अनुसार स्थानीय संस्थाओं और सार्वजनिक सेवाओं में हरिजनों को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया।
13. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने क्यों हिस्सा लिया ?
उत्तर- विभिन्न वर्गों और समूहों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में हिस्सा लिया। क्योंकि 'स्वराज' के मायने सभी के लिए अलग-अलग थे-
(क) ज्यादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे जहाँ कारोबार पर औपनिवेशिक पाबंदियाँ नहीं होगी तो व्यापार व उद्योग निधि ढंग से फल-फूल सकेंगे।
(ख) धनी किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था, भारी लगान के खिलाफ लड़ाई।
(ग) महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था, भारतीय समाज में पुरुषों के साथ बराबरी और स्तरीय जीवन की प्राप्ति।
(घ) गरीब किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था उनके पास स्वयं की जमीन होगी। उन्हें जमीन का किराया नहीं देना होगा और बेगार नहीं करनी पड़ेगी।
14. गाँधी-इर्विन समझौता कब हुआ था? इसकी किसी एक शर्त का उल्लेख करें।
उत्तर- मार्च, 1931 ई० को तत्कालीन वायसराय लार्ड इर्विन और महात्मा गाँधी में एक समझौता हुआ जो गाँधी इर्विन समझौता के नाम से प्रसिद्ध है।
(क) इस समझौता के अनुसार सरकार ने सविनय अवज्ञा आंदोलन से संबंधित सभी बन्दी रिहा कर दिए ।
(ख) महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित कर दिया और दूसरी गोलमेज कांफ्रेंस में भाग लेना भी स्वीकार कर लिया।
15. खिलाफत आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- खिलाफत आन्दोलन :-
(क) प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन तुर्की की हार हो चुकी थी। इस आशय की अफवाह फैली हुई थी कि इस्लामिक विश्व के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) ऑटोमन सम्राट पर एक बहुत सख्त शांति संधि थोपी जायेगी।
(ख) खलीफा के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया।
(ग) मोहम्मद अली और शौकत अली बन्धुओं के साथ-साथ कई युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जनकारवाई की संभावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ वार्तालाप की।
(घ) सितम्बर 1920 में महात्मा गांधी सहित दूसरे नेताओं ने यह बात मान ली कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज्य के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाना चाहिए।
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