Vector and Scalar
सदिश एवं अदिश
Short Answer type Questions
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. अदिश एवं सदिश में अंतर करें।
उत्तर- अदिश एवं सदिश में अन्तर :-
राशियाँ जो एक संख्या एवं मात्रक (unit) द्वारा पूर्णत: विशेष रूप से उल्लिखित की जा सकती हैं और इसलिए जिसे केवल परिमाण (संख्यात्मक या निरपेक्ष मान) है, अदिश कहलाती हैं। समय, लंबाई, द्रव्यमान, घनत्व, ऊर्जा एवं ताप कुछ भौतिक राशियाँ हैं जो अदिश हैं । अदिशों का योग या गुणनफल भी एक अदिश होता है। व्यापक रूप में, अदिशों के साथ कोई भी बीजीय संक्रिया अदिश देती है।
सदिश राशियाँ वे हैं जिनमें परिमाण एवं दिशा दोनों होते हैं और जो, त्रिभुज या समांतर चतुर्भुज विधि के अनुसार जोड़ी जाती हैं। विस्थापन, वेग, त्वरण, बल एवं चुंबकीय प्रेरण कुछ भौतिक राशियाँ हैं जो सदिश हैं। सदिश का परिमाण अदिश होता है और यह हमेशा धनात्मक होता है ।
दो अदिशों का योग एक सदिश होता है किंतु उनका गुणनफल एक अदिश अथवा एक सदिश हो सकता है । सदिशों के लिए 'योग' अथवा 'गुणा' की संक्रिया संगत बीजीय संक्रिया से अलग होती है।
प्रश्न 2. सदिश कैसे निरूपित किया जाता है ? शून्य एवं उचित सदिश क्या है ?
उत्तर- आरेख पर सदिश का निरूपण करने के लिए एक बाण (तीर) खींचा जाता है। तीर की लंबाई सदिश के परिमाण के अनुपात में चुनी जाती है, अर्थात् एक स्केल चुना जाता है और तीर की दिशा सदिश की दिशा में चुनी जाती है, बाणाग्र दिशा की अभिदिशा देता है। लिखावट में, सदिश का निरूपण उसके संकेत के ऊपर तीर-चिह्न द्वारा होता है, जैसे- a ⃗ और बिना बाण का वही संकेत उसका परिमाण सूचित करता है, जैसे- a । छपाई में, सदिश का निरूपण मोटे में उसके संकेत द्वारा होता है और तिरछे में वही संकेत उसका परिमाण सूचित करता है, जैसे - a । कभी-कभी सदिश के परिमाण को सूचित करने के लिए सदिश के लिए संकेत के दोनों ओर एक-एक ऊर्ध्वाधर रेखा रखी जाती है, जैसे - |a|
सदिश जिसका परिमाण शून्य है, शून्य सदिश कहलाता है, जैसे a शून्य सदिश है जब |a| = 0 और सदिश जिसका परिमाण शून्य नहीं है, उचित या वास्तविक सदिश कहलाता है। ।
प्रश्न 3. समरेख सदिश, समतलीय सदिश, मुक्त सदिश, सर्पण सदिश और स्थानीकृत सदिश क्या है ?
उत्तर- समांतर सरल रेखाओं के अनुरेख दिष्ट (समान या विपरीत दिशाओं में) सदिशों को समरेख सदिश कहते हैं। समरेख सदिश एक ही सरल रेखा के अनुरेख व्यवस्तिथ किए जा सकते हैं। समांतर समतलों में सदिशों को समतलीय सदिश कहते हैं । समतलीय सदिश समांतर स्थानांतरण द्वारा एक समतल में लाये जा सकते हैं।
परिमाण में बराबर और समान दिशावाले समरेख सदिश परस्पर बराबर समझे जाते हैं। इसका अभिप्राय तथाकथित उचित मुक्त सदिश से होता है।
सदिश जो आकाश में किसी बिंदु से खींचे जा सकते हैं, मुक्त सदिश कहलाते हैं।
सदिश जिनकी पूँछ (आदि-बिंदु) सरल रेखा पर जिसके अनुरेख सदिश दिष्ट है, किसी बिंदु पर रखी जा सकती है, सर्पण सदिश कहलाते हैं।
सदिश जो एक निश्चित बिंदु पर लगाए गए हैं, स्थानीकृत सदिश कहलाते हैं। सर्पण सदिश और स्थानीकृत सदिश मुक्त सदिशों के जरिए व्यक्त किए जा सकते हैं। यही कारण है कि सदिश कलनशास्त्र मुक्त सदिश की संकल्पना पर आधारित है, मुक्त सदिश प्राय: केवल सदिश कहलाता है।
प्रश्न 4. सदिश कैसे जोड़े जाते हैं ? सदिशों का संयोजन क्या है ?
उत्तर - दो सदिशों का योग समांतर चतुर्भुज विधि के अनुसार प्राप्त किया जा सकता है - एक उभयनिष्ठ बिंदु से सदिश a एवं b समान स्केल पर खींचे जाते हैं और इनकी आसन्न भुजाएँ लेकर एक समांतर चतुर्भुज पूरा किया जाता है, तब सदिश योग या परिणामी सदिश c उभयनिष्ठ बिंदु से खींचा गया विकर्ण होता है।
अर्थात् c = a + b
दो सदिशों का योग त्रिभुज-विधि के अनुसार आसानी से प्राप्त किया जा सकता है । - खींचे गए सदिश a के शीर्ष (अंतिम बिंदु) पर सदिश b की पूँछ रखकर सदिश b समान स्केल पर खींचा जाता है, तब परिणामी सदिश c सदिश
a की पूँछ से सदिश b के शीर्ष तक खींचा गया सदिश होता है।
स्पष्टत: |c| = |a + b| ≠ a + b.
दो से अधिक सदिशों का योग बहुभुज विधि जो त्रिभुज विधि का विस्तार है के अनुसार प्राप्त किया जा सकता है- एक सदिश के बाद
दूसरा सदिश, दूसरे सदिश के बाद तीसरा, इत्यादि समान स्केल पर इस प्रकार खींचे जाते हैं कि प्रत्येक की पूँछ पूर्ववर्ती के शीर्ष पर हो, तब सदिश योग या परिणामी सदिश पहले सदिश की पूँछ से अंतिम सदिश के शीर्ष तक खींचा गया सदिश होता है।
सदिशों का योग समान सदिश भौतिक राशियों के लिए ही होता है। सदिशों को एक तुल्य सदिश के रूप में जोड़ने के प्रक्रम को सदिशों का संयोजन कहते हैं।